लेखनी कविता -12-Feb-2022 (विदाई )
बेटी हो जाती जब बड़ी पिता देता नया घर
चुनकर एक अच्छा वर कर देता फिर सगाई है।
गुँज रहा पूरा घर आँगन नई खुशियां आई है।
हो रही बेटी की शादी और बज रही शहनाई है ।।
कुछ सालों रहे रौनक पिता के घर आँगन में
फिर सीने में पत्थर रख पिता करे बेटी विदाई है ।।
विदाई के वक्त माँ - पिता रोते बहुत करते विदा
माँ गले लगाकर कहती खुश रहना तू मेरी परछाई है।।
आँखों से आने वाले अश्रु धारा को रोकता है पिता
गम छुपकर नई खुशियां की देता बेटी को बधाई है ।।
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)
Seema Priyadarshini sahay
12-Feb-2022 08:59 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
12-Feb-2022 07:46 PM
Very beautiful 👌
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